तेरी दोस्ती

 


वो लड़कपन की बातें मुझे याद आना,
मेरी हर खता पे तेरा मुस्कुराना।
 
कभी साथ रहकर के बातें बनाना
 कभी दूर से ही वो वादे निभाना।
 
कोशिश करूं तो भी मुमकिन नहीं है,
 तेरी दोस्ती को जहन से मिटाना।


 वो चेहरे की रौनक, वो आंखों की मस्ती,
 मिलकर हमारा वो सपने सजाना।



मिलकर शरारत के पल वो बिताना,
 मिलकर वह मुश्किलों को आसान बनाना,


कोशिश करूँ तो भी मुमकिन नहीं है, 
तेरी दोस्ती को जहन से मिटाना।


 निगाहें भी गर कोई तुझपे उठाए ,
मेरा वो पलट कर के आंखें दिखाना।


 मेरी हर खुशी में तेरा खिलखिलाना,
 मिला गम मुझे तो तेरा आँसू बहाना।


 कोशिश करूँ तो भी मुमकिन नहीं है ,
तेरी दोस्ती को जहन से मिटाना।


 कभी ईश्वर के दर पे जो माथा टिकाया,
 मेरी हर दुआ में तेरा नाम आना।


 वो कागज की कश्ती सी दुनिया बनाना,
 उसीपल बना कर के फिर से गिराना।


कोशिश करूँ तो भी मुमकिन नहीं है,
 तेरी दोस्ती को जहन से मिटाना।


              ...........कवि निकेतन