बहुत खूबसूरत पहाड़ों सी है वो
चहकते हुए पंछियों सी है वो!!
बहते हुए पानी सा उसका चलना
खिलते हुए फूलों सा उसका हंसना
बहुत भाव खुद मे समेटे हुए है
जैसे सागर मे पानी इकट्ठा हुआ है
!!!!
पतझड़ में खिलना और खिल के
महकना
बहूत बार उसने सिखाया है हम को
।।
ये मौसम ये बारिश ये दिन का उजाला
हमे क्यूँ ये लगता कि सब है उसी से
।।
मगर हम न जाने कभी हाले उनका
कि वो किस कदर महकना है सीखे
।।
बहुत दर्द आंखो मे उनका छिपा है
मगर वो कभी ये बयां कर न पाये
वो ये जानते थे की दुनिया में उनके
बयां दर्द की कोई कीमत नहीं है