रिश्ते

तुमने साध ली चुप्पी
गुनाहगार हम हो गये


आईने क्या बोलेंगे
झूठे किरदार हो गये



क्या समझाएंगे साहेब?
बच्चे समझदार हो गये


 आलीशान मकानों के
मां-बाप चौकीदार हो गये


रिश्ते नाम के रहे गये
संबंध व्यापार हो गये


फ़क़ीर थे जो कल तक
आज जमीदार  हो गये


                 प्रबोध उनियाल