राजा और उसके घोड़े
मदमस्त चाल में
अपनी बनाई हुई सडक पर !
घोड़ों की आँखों में बँधी पट्टी
नहीँ देखने देती उन्हें
यहाँ-वहाँ!
कहीँ और
जहाँ नहीं बनी है कोई सडक
जिस पर चल कर
पहुँचा जा सके राजा के पास!
जो घोड़े नहीं बन पाए
आँखों पर पट्टी बाँधे
वे दिखाना चाहते हैं राजा को!
एक और रास्ता भी
जो पहुँचा सकता है
राजा की सड़क के नीचे
दबे हाथों और आवाज़ों तक !
वे दिखाना चाहते है !
सड़क के नीचे
बहते खून के दरिया को भी
पर राजा के घोड़े कहीं और
देख ही नहीं सकते!
वे दौडते हैं राजा के साथ
मदमस्त चाल में !
अपनी बनाई सडक पर ही !
............सोनिया नौटियाल गैरोला