ये हमारी बेटी है अनु दुबे !
ये पागल हो गयी है , ये आज संसद के आगे हाथ में पोस्टर लेकर अकेले खड़ी हो गयी कि, हमारी सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी है ? गुण्डे मवालियों, और पूजिपतियों के दलालों से पटी संसद जिसका नेतृत्व हिन्दू हृदय सम्राट कर रहे हैं , इस पागल बेटी के प्रति कितनी संवेदनशील होती ये तो बहुत दूर की कौड़ी है । सम्राट की पुलिस ने इसे सम्राट के अश्वमेधयज्ञ में विघ्न मानने वाला कदम मान कर इस बेटी की छाती पर महिला कांस्टेबल को चढ़ा दिया । कूट-पीट कर इसे राष्ट्रवाद समझा दिया गया । पुलिसकर्मियों के सेवाभाव की कितनी तारीफ करूं शब्द ही नहीं मिल पा रहे, जो मिल रहे हैं उन्हें लिख नहीं पा रहा हूं ।
खैर छोड़ो बेटी अनु सुनो !
तुम उस दौर में होश संभाल रही हो जब देश में हिन्दू हृदय सम्राट का राज है ।, ये वही सम्राट है जिसे इस देश में पैदा होने पर बहुत शर्म महसूस हुई थी । सम्राट के राज्यारोहण के बाद देश में कठुआ, उन्नाव, बिल्लौर, रांची, इलाहाबाद, आदि जगहों पर बलात्कार के बाद बलात्कारीयों के समर्थन में हाथों में तिरंगा लेकर वन्देमातरम के नारे के साथ जलूस निकाले गये । 6 साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या पर धर्म के आधार पर हर्ष व्यक्त किया गया । सम्राट की एक महिला सांसद ने बलात्कार को अपनी संस्कृति बता कर गर्व की अनुभूति करवाई । तो दूसरी ने इसे रोज की सामान्य घटना बता कर संस्कृति के सोपान पर श्रद्धांजलि अर्पित कर दी ।
बेटी अनु !
तुम्हें पता होना चाहिये कि जिस सम्राट के कार्यकाल में तुम विरोध करने और सवाल करने उतरी हो उस के राज में ये सब राष्ट्रद्रोह है । समाज में उसके पैदा किये हुए किन्नर तुम्हें नोच कर खा जायेंगें । यदि तुमने उसकी संप्रभुता पर कोई सवाल किया । नेहरू गांधी की कहानी तुम्हारे बाप दादा ने पढ़ी होगी, अब तो वे दोनों भी राष्ट्रद्रोही घोषित किये जा चुके हैं तुम्हें शायद पता नहीं ।
गांधी की बेटियों और नेहरू की बहन और भांजी की तस्वीरों को तुम्हें भी दिखाया गया होगा कि ये दोनों ठरकी अय्याशी कर रहे हैं, किन्तु कभी ये नहीं बताया गया होगा कि ये, गांधी की बेटियां और नेहरू की बहन और भांजी हैं । जब तुम्हें ये नहीं बताया तो नाथूराम के नथ पहनने से लेकर अटल के चकलाघरोें , राघव जी के यौन कुन्ठाओं के किस्से और ताजातरीन प्रदीप जोशी के हाट आइसक्रीम एपीशोड कौन दिखाता ? तुम्हें न तो मानसी सोनी के बारे पता होगा ? ना ही गुजरात में 14 साल औरतों के सिलसिलेवार शोषण की कथा पता होगी ।
बेटी अनु !
तुम्हें बताने को इतना कुछ है कि उंगलियों की शक्ति और जीवन के दिन उसके सापेक्ष बहुत कम हैं बस गीता सार की तरह समझ सको तो बेहतर किरू- नाथूराम की नथ से केशवकुन्ज के चकलाघर होते हुए बलबीर रोड के कार्यालय की नाली जब कंडोम से जाम हो गयी हमें तब जा के पता चला कि राष्ट्रवाद अपने उफान पर है ।
तो बेटी एैसे उफान और तूफान पर तुम घर के ही अंदर रहना ये सारा कोढ मुझ जेैसे कई पागल हैं , हम सहेंगें , हम देखेंगें , ये तुम्हारा विषय नहीं। ये हमारा विष है , हम इसे पीकर मरते हैं या इसे पीने से इन्कार कर लडते हैं ये हमें ही देखना है । तुम रहने दो ! कल ये ही तुम्हारे चेहरे को कहीं और कट-पेस्ट कर नया इतिहास लिख देंगें बैरहाल इनके ही बाप का राज है । इनके ही बाप का राज है । ..............अनजान की कलम से