महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा के जिम्मेदार, आज के परिवार और संस्कार       

 पहले बच्चों को घर में समझाया जाता था कि गाँव की लड़की बहन के समान है....कहीं जरुरत पड़े तो उसकी रक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारी है....
आज स्कूल से घर आते ही 4 साल के बच्चे से उसी की माँ हंस के पूछती है...कोई गर्लफ्रैंड बनाई या नहीं...? साथ में बैठे पापा भी टोकने की बजाय हँसते है....


        आज हमारे दिल दिमाग और घर से नारी सम्मान के संस्कारों की जगह नारी भोग की मानसिकता का विष पिलाया जाता है....ऐसे संस्कार राम राज्य नहीं....बलात्कार राज्य का निर्माण करेगें...!!!



   पहले नौजवान कालेज जाते....सगी बहन तो छोड़िए गाँव की लड़की की ओर आँख उठाकर देखने वाले की जबरदस्त कुटाई छिताई करते......उन में से बहुत सारे पीड़ित लड़की को शक्ल से जानते तक नहीं होते थे मगर गाँव की लड़की के सम्मान की मानसिकता और संस्कार उन्हें उस बहन के सम्मान की खातिर जान पर खेलने से भी परहेज नहीं करने देते थे.....


      और आज की मानसिकता देखिए....पड़ोस का आवारा....किसी दूसरे स्थान के आवारा से यह कहता अमूमन मिल जाएगा कि  हमसे तो .. नहीं...तुम  ... ही देख लो!!!



प्रश्न विचारणीय है साथियो....!!!अपने घर को बदलो देश बदलते देर नहीं लगेगी...!!!


जिन बुजुर्गों के विचारों को हम रद्दी की टोकरी में फेक आए और आधुनिकता के नाम पर नंगापन और फूहड़ता को ढोते फिर रहे हैं....ऐसी आधुनिकता को आग लगे....उन बुजुर्गों के विचारों को धो...माँज कर ग्रहण करो....!!!   ................                                     रचयिता .....सन्दीप कुमार