क्यों बच्चों को जो इतना सता रहे हो,
पढ़ाई का इतना प्रेशर क्यों बना रहे हो ,
जिंदगी बनाने की चाह में उनको
पढ़ने भेज रहे हो या मरवा रहे हो,
साथियों सोचो जरा हम सबने कितने प्रतिशत और कितने प्रेशर मे पढ़ाई करी है ! शायद कोई ज्यादा प्रेशर नही था प्रतिशत लाने का बस 33 नंबर आ गए या फिर कक्षाउन्नति भी मिल गयी तो भी अभिभावकों को ज्यादा फर्क नही पड़ता था उसके बावजूद भी अधिकांश छात्र-छात्राएं अपने अपने स्तर और शिक्षा के आधार पर एक कामयाब जीवन यापन कर रहे हैं । किंतु आज के दौर मे हम अपने बच्चों से न सिर्फ उनका बचपन छीन रहे हैं बल्कि अपनी मर्जी और और इच्छाओं के चलते उनका जीवन भी छीन रहे हैं । आज हम सब बस दूसरों के मन की एक कठपुतली बनकर रह गए हैं पहले तो अपने बच्चों की क्षमता और योग्यता देखे और जाने बिना उन बच्चों को दूसरों को दिखाने के लिए दो या सवा दो साल की ही उम्र मे ही उनका बचपन छीनकर उनको बड़े और महंगे स्कूल मे भर्ती करवा देते हैं और फिर उन मासूमो पर अच्छे नम्बर लाने और अपना भविष्य बनाने का सपना दिखाकर उन पर अत्यधिक और बेवजह प्रेषर बनाने लगते हैं उन मासूमों को न तो खेलने और ना ही सोने और खाने का समय दे पाते हैं । उन मासूमों की मनोदशा जाने बिना बस अपने ही फरमान उन पर थोपने मे लगे रहते हैं । आज उनकी मनोदशा ऐसी हो चुकी है जो उन्हें अपराधों की ओर ले जा रही है फिर चाहे वो नशे की लत हो, बाल अपराध हो, अपने साथियों के साथ शारिरिक शोषण, या आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाना इन सबके पीछे अगर कोई मुख्य कारण है तो वो हैं हम और हमारी बड़ी-बड़ी आकांक्षाएं और अपेक्षाएं जो हम उन मासूमो से लगाने लगते हैं ।
आप यदि अपने बच्चे को एक अच्छा जीवन और उज्वल भविष्य देना चाहते हैं तो पहले उसे जिंदगी और खुशियां दीजिए न की बेवक्त की मौत ।
अब फैसला आपके हाथ मे है आप बच्चों को ऊंची डिग्री और अच्छी नौकरी के सपने दिखा कर और पढ़ाई का प्रेशर देंकर उसके लिए आपराधिक जिंदगी या घातक मौत चुनते हैं या लम्बी उम्र के साथ एक सुकून का जीवन उसके और अपने लिए चुनते हैं।।। ....आरिफ खान (राष्ट्रीय अध्यक्ष) नैशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (NAPSR)