वो देता है बे-हिसाब हमें, हम कण कण का हिसाब गिना देते हैं।

एक बार एक महिला कहीं जा रही थी, तो उसे रास्ते मे उसकी एक पुरानी दोस्त मिली। और  उसकी  दोस्त उसे अपने साथ अपने घर ले गई,वह दोनों आपस मे बातें करने लगती हैं, तो उस महिला को पता चलता है कि उस दिन उसकी दोस्त का जन्मदिन है। वह सोचती है कि अब वह अपनी दोस्त को क्या उपहार  दे, तो वह महिला अपने हाथ के कंगन उतार कर उसको भेंट दे देती है, जो कगंन उसकी उसी दोस्त ने कुछ वर्षों पहले उसे उपहार दिए थे। लेकिन उसकी दोस्त वह कंगन पहचान लेती है।


तो आप बताइए कि क्या वह महिला उस उपहार को पाकर खुश हुयी होगी...? बिल्कुल भी नहीं।।। क्योंकि वह उसी का दिया उपहार था,जो उसने उस महिला को दिया था।
इसी तरह ईश्वर को भी हम वही देते हैं जो उसने हमे उपहार दिया है, जैसे फल, फूल, दूध, इत्यादि। जो उसी का दिया हुआ है।
       इसलिए ईश्वर को आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस आप उन्हें दिल से याद करो इतना ही काफी है। क्योंकि ईश्वर यह अच्छी तरह जनता है कि हमें क्या चाहिए और हमारे लिए क्या जरूरी है, वह हमें सब देगा। लेकिन तब जब वह चीज हमारे लिए जरूरी होगी, न कि तब जब हमें उसकी जरूरत है।