बिन रोटी न बूझे आग पेट की, बिन खिलौने न बचपन मुस्काये, दो अक्षर पढें जायें तभी, जब दो जून की रोटी मिल जाये

बाल दिवस पर विशेष : -- भारत में पहले बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था। लेकिन 1664 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद सर्वसहमति से ये फैसला लिया गया कि जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बालदिवस के रूप में मनाया जाय।
भारत में प्रतिवर्ष 14 नवंबर को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बालदिवस के रूप में मनाया जाता है।
जो सपने चाचा नेहरू ने बच्चों के खुशहाल जीवन को लेकर देखे थे, वो सपने आज कहीं धुंधले पड़े हैं।आज भी देश के करोड़ों बच्चों को दो जून की रोटी भी मुहिया नही है ।
जिस उम्र में बच्चों के हाथ मे बच्चों को पढ़ने और बढ़ने के लिए  पुस्तकें होनी चाहिए था किताबों उस उम्र में वे अपने पेट की की आग बुझाने को मजदूरी कर रहे हैं।
      ऐसी हालत ही बच्चों को उम्र से पहले बड़ा बना रही हैं,और उनका बचपन छीन रही है।
हर देश का  बच्चा उसका वर्तमान व भविष्य होता है। इसलिए वर्तमान में जिस देश के बच्चे जितने सुरक्षित व सपन्न होंगे, उस देश का भविष्य भी उतना ही उज्जवल होगा।