बेटी

घर की सब चहल पहल है बेटी।
 जीवन में खिला कमल है बेटी।
 कभी धूप गुनगुनी  सुहानी, कभी चंदा शीतल है बेटी। 


शिक्षा गुण संस्कार  रोप दो, फिर बेटों से सबल है बेटी। 


सहारा दो गर विश्वास का,  तो पावन गंगा जल है बेटी। 


प्रकृति के सद्गुण सीचो, तो प्रकृति से निश्चल है बेटी। 


क्यों डरते हो जन्म देने से,  अरे आने वाला कल है बेटी।