यारों वैसे ये बात ज्यादा पुरानी तो नही, ये कड़वा अनुभव है मेरी जिंदगी का कोई कहानी तो नही,
जिंदगी की इस जद्दोजहद मे कोई मेरे इतना करीब हो गया, मगर दो मुलाकातों के बाद ही उस से बिछड़ना मेरा नसीब हो गया,
उसकी मजबूरियां कहूं या बदनसीबी अपनी, वो पहले जिसका था फिर से उसका रकीब हो गया,
वो खुश होता रहा अपनी ही महफिल मे मगर , मै फिर से अपनी मुफलिसी के करीब हो गया, दिन, महीने मे बीते महीने बीते साल मे, मगर उसने मुड़ कर न देखा मै जी रहा हूँ किस हाल मे, वक्त यूं ही कटता गया जीवन यूं ही सिमटता गया, फिर अचानक उसका सन्देश एक दिन यूं आया, पहले तो मै हैरान हुआ कैसे क्या बात करूं कुछ समझ नही पाया, उसकी बातें और हालतें दास्ताँ ये बयान कर रहे थे, कुछ ऐसा हुआ उसकी जिंदगी मे, जिस से हम सब डर गये थे, कुदरत ने एक बार फिर हमे ऐसे मिलाया है, अब एक साथ तो हैं ! हम मगर दूर हमारा साया है, ये किस्मत हमे किस मोड़ पर ले आयी है, अब साथ हैं हम मगर, लम्बी जुदाई है, पहले तरसते थे हर पल जिस पल के लिए, आज वो पल संग हमारे है, मगर हमे सोचना पड़ रहा है आने वाले कल के लिए , वो दूर जाकर नजदीक हो गया इतना, कि उस का दीदार करूँ भी तो कैसे करूँ, उसने समेट लिया खुद को एक दायरे मे यारों, अब वो पास है मेरे मगर उसे प्यार करूँ भी तो कैसे करूं, उसको अब परवाह नही कुछ भी हमारे जज्बातों की, दिन रात बस दुहाई देता है वो अपने हालातों की, ये मेरे दिल का दर्द है कोई ! बीमारी रूहानी तो नही, न रख कोई उम्मीद-ए वफा किसी से आरिफ, और भी कारवां-ए-मन्जिल हैं जमाने मे मोहब्बत के सिवा, आखरी मन्जिल तेरी आसमानी तो नही, ये मेरी जिंदगी का कड़वा सच है, कोई कहानी तो नही, कोई कहानी तो नही ।।