जाने कैसे-कैसे कानून सरकार बना रही है,
शिक्षा को न जाने क्यों व्यपार बना रही है,
अपने शिक्षा के मंदिरों मे डालकर मोटे-मोटे ताले,
क्यों हर तरफ निजी स्कूलों और
कॉलेजों की कतार लगा रही है
काले धन को सफेद करने मे जुटा हर माफिया
तभी तो कुकुरमुत्तों सी उगती निजी शिक्षण
संस्थानों की बिल्डिंगे नजर आ रही है,
शिक्षा जो समझी जाती थी कभी समाज सेवा,
आज वो एक मुनाफे का व्यपार बनती जा रही है,निरंकुुुश, निर्विरोध, निडर है आज शिक्षा माफिया,
तभी तो बच्चों को शिक्षित करने मे
अभिभावकों की कमर झुकी जा रही है
सुप्रीम कोर्ट हो, हाई कोर्ट हो, हो या हो कोई शासनादेश,
शिक्षा माफिया नही मानते कायदे और कानून को
तभी तो मनमानियां इनकी निरन्तर बढ़ती जा रही हैं
भ्र्ष्टाचार मे लिप्त हैं इनको काबू करने वाले विभाग इतने,तभी तो हर नियम, कानून, और
नीति अपने मुँह की खा रही हैं,
जागो अभिभावकों जागो, शिक्षा के अधिकार को समझो,
न हो कोई वंचित शिक्षा के अधिकार से,
उठो जागो और बचालो शिक्षा को व्यपार से,
खुद को जागरूक होकर बढ़ना होगा
वर्ना लगाते रहो गुहार अपनी-अपनी सरकार से
बच्चों की शिक्षा के लिए ही कमाना न मकसद रह जाये,
खुद को बचाओ शिक्षा माफियाओं
के आर्थिक अत्याचार से, और शिक्षा को मुक्त कराओ,
शिक्षा माफियाओं के बाजार से, ताकि
कोई बच्चा न वंचित रह जाये; शिक्षा के अधिकार से।।
शिक्षा के अधिकार से....
नीलम उनियाल की कलम से.....🖋️।